WBCHSE CLASS 12TH HINDI CHAPTER -1 कुटज (KUTAJ) by हजारी प्रसाद द्विवेदी WEST BENGAL BOARD

VISHAL TUITION CLASSES, ASANSOL
ADD. - BUDHA, ASANSOL
MOB. NO. - 9064465167
CLASS 12TH WEST BENGAL BOARD HINDI ALL IN ONE ANSWER FOR        
            
            "कुटज (KUTAJ) by 
            हजारी प्रसाद द्विवेदी..."

Q.1. कुटज" के सम्बन्ध में द्विवेदी जी के विचारों को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए।

2. कुटज निबंध में निहित संदेश को अपने शब्दों में लिखें कुटज के माध्यम से लेखक के व्यक्त विचारों को संक्षेप में लिखें।

3. कुटज के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं । सोदाहरण उल्लेख करें।

4. कुटज निबंध का सारांश अपने शब्दों में लिखें

5. कुटज निबंध की समीक्षा करें

6. कुटज निबंध का सारांश तथा उद्देश्य अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर - 'कुटज' , आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का प्रसिद्ध ललित निबंध है, जिसमें लेखक ने कुटज जैसे एक पहाड़ी पौधे के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त किया है। कुटज हिमालय पर्वत की ऊंचाई पर सूखी शिलाओं के बीच उगने वाला एक जंगली पौधा है, जिसमें फूल लगते हैं। इसी फूल की प्रकृति पर यह निबंध कुटज लिखा गया है। कुटज में न विशेष सौंदर्य है, न सुगंध, फिर भी लेखक ने उसमें मानव के लिए एक संदेश पाया है। कुटज में अपराजेय जीवनशक्ति है, स्वावलंबन है, आत्मविश्वास है और विषम परिस्थितियों में भी शान के साथ जीने की क्षमता है। वह समान भाव से सभी परिस्थितियों को स्वीकारता है। सामान्य से सामान्य वस्तु में भी विशेष गुण हो सकते हैं यह जताना इस निबंध का अभीष्ट है। कभी-कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि कुटज के भीतर से हजारी प्रसाद द्विवेदी की वाणी का झरना प्रवाहित हो रहा है।

कुटज' ललित निबंध है। इस निबंध के केन्द्र में 'कुटज' नाम का वृक्ष है जो पुष्पों से भरा होता है। निबंध के प्रारंभ में द्विवेदीजी उस स्थल- विशेष को प्रस्तुत करते हैं जहाँ कुटज उगता है, पनपता है और पुष्पित पल्लवित होता है। यह स्थान है- शिवालिक श्रृंखला । अर्थात् हिमालय की निचली पहाड़ियाँ ।

जहाँ कुटज उगता है वहाँ की भूमि का वर्णन करते हुए द्विवेदी जी कहते हैं कि उस भूमि पर हरियाली नहीं है, दूब तक सूख गई है, काली काली चट्टानों के बीच केवल थोड़ी-थोड़ी रेती है। यहीं कुटज उगता है। इस विकट भी जीते हैं। सिर्फ जीते ही नहीं है, हँस भी रहे हैं। कुटज की इस प्रकृति पर विचार करते हुए वे कहते हैं कि "कभी-कभी जो लोग ऊपर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफी गहरी पैठी रहती है। ये भी पाषाण को छाती फाड़कर न जाने किस अतल गह्वर से अपना भोग्य (भोजन) खींच लाते हैं।" अर्थात् कुटज ऊपर से ही बेहया प्रतीत होता है पर उसकी जड़ें गहरी हैं और ये पाषाण (पत्थर) की छाती के बहुत नीचे से अपना भोजन खींच लेते हैं। यही कुटज का अद्भुत स्वरूप है। इतनी कठिनाई के बीच भी ये मुस्कुराते रहते हैं, अलमस्त रहते हैं। हम इन्हें भले ही न जानते हों लेकिन ये अनादिकाल से हमें जानते हैं। कवि कुटज के माध्यम से ही कहते है

जीना चाहते हो तो कठोर पाषाण को भेदकर, पाताल की छाती चीरकर अपना भोग्य संग्रह करो; वायुमंडल को चूसकर झंझा तूफान को रगड़कर अपना प्राप्य वसूल लो; आकाश को चूमकर अवकाश की लहरी में झूमकर उल्लास खींच लो।

कुटज के इस पहचान के बाद द्विवेदी जी इसके नाम और रूप की व्याख्या तथा तुलना करते हैं। बड़ा कौन है? रूप या नाम ? द्विवेदी जी कहते हैं व्यक्ति सत्य है, नाम समाज सत्य । "नाम इसलिए बड़ा होता है कि उसे सामाजिक स्वीकृति मिली होती है। रूप है।

• कुटज की पहली विशेषता है अपराजेय जीवनी शक्ति । यह नाम रूप दोनों में है। यही कारण है कि संस्कृत साहित्य में यह नाम जम कर बैठा है। द्विवेदी जी कहते हैं कि

कालिदास को मेघ की अर्चना के लिए कुटज पुष्प ही मिले थे। 'कुटज' निबंध के अंत में द्विवेदी जी कहते है कि व्यक्ति न किसी का उपकार कर सकता है न अपकार । मनुष्य केवल जी रहा है, यह जीना इतिहास विधाता की इच्छा और योजना के अनुसार है। मनुष्य के द्वारा न किसी को सुख पहुँचाया जा सकता है न दुःख । सुखी वह है जिसका मन वश में है और दुःखी वह है जिसका मन वश में नहीं है ।

वह अपने मन अनुसार चलता है और जीवन जीता है। दुखी वह है, जो दूसरों के कहने पर चलता है या जिसका मन स्वयं के वश में न होकर अन्य के वश में है। वह उसकी इच्छानुसार व्यवहार करता है । उसे खुश करने के लिए ही सारे कार्य करता है। वह दूसरे के समान बनना चाहता है। अतः दूसरे के हाथ की कठपुतली बन जाता है। अतः दुख और सुख तो मन के विकल्प ही हैं। जिसने मन को जीत लिया वह उस पर शासन करता है, नहीं तो दूसरे उस पर शासन करते हैं

कुटज इन सारे छल-छंदों से मुक्त है। यही कारण है कि वे उपरोक्त सारे तथ्यों को कुटज के माध्यम से व्यक्त करते हैं, उसे प्रतीक के रूप में हमारे सामने उपस्थित करते हैं। उनकी दृष्टि में कुटज 'वैरागी' है । वह राजा जनक की तरह संसार में रहकर, संपूर्ण भोगों को भोगकर भी उनसे मुक्त है।

नोट - इस पाठ से आने वाले प्रत्येक प्रश्न  के लिए मैंने यह ऑल इन वन उत्तर बनाया है, इसे समझिए एवम् याद कीजिए....!!

नोट - 2024 की परीक्षा में West Bengal में "कुटज" निबंध से कोई पंक्ति उठाकर उसकी व्याख्या करने नही आने की संभावना है अपितु डायरेक्ट Long question आ सकता है।

अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखिए...
जय भारत...🇮🇳🇮🇳

VISHAL AIM CLASSES
AN ALL IN ONE EDUCATIONAL HUB
By - VISHAL (NAVEEN)
● From class V to X (CBSE & West Bengal Board)
1.MATHS (WITH BASIC TO ADVANCE MATHS FROM CLASS 6TH TO 12TH - ARITHMETIC, ALGEBRA, MENSURATION , GEOMETRY - THEOREM & CONSTRUCTION- TRIGONOMETRY, GRAPH, STATISTICS, PROBABILITY ETC. IN AN EASIER FORM)
2. SCIENCE- PHYSICS (WITH NUMERICS),CHEMISTRY & BIOLOGY WITH CHAPTER WISE
IMPORTANT QUESTIONS
3. SOCIAL SCIENCE - HISTORY,GEOGRAPHY,
POLITICAL SCIENCE,ECONOMICS
●Special Classes of
Geography,History and Political Science for Class XI and XII (WEST BENGAL BOARD)
● ENGLISH GRAMMAR CLASSES (SPECIALLY FOR PARTS OF SPEECH,
TENSE,NARRATION,VOICE CHANGE, DEGREE & COMPREHENSION,THE CONCEPT OF
AUXIALIRY VERBS, TYPES OF SENTENCE - SIMPLE, COMPLEX & COMPOUND,
CLAUSES ETC.)
●RAISE CREATIVENESS & THINKING ABILITY IN STUDENTS FOR WRITING SKILL.
(LETTER WRITING,PARAGRAPH WRITING,REPORT WRITING,MESSAGE WRITING,DIARY
WRITING,CV ETC)
● HINDI GRAMMAR CLASSES (समास विग्रह,सधि विच्छेद,वाक्य परिवर्तनर्त सरल,मिश्र और संयुक्त वाक्य परिवर्तन , उपसर्ग, प्रत्यय, लिंग परिवर्तन , मुहावरे, कारक, काल, पत्र लेखन, रिपोर्ताज लेखन, आदि )
Teaching in an organised method:-
i) Chapter/Poem-Reading (Lecture about the theme of the chapter)
ii)Making the student understood about the substance of the chapter/Poem/Drama
iii)Solving the exercises or activities of the chapter
iv)Grammatical Portion if the chapter
v)Writing skill solution of the chapter
vi) Numerics of the chapter (Physics)
vii)Maps in geography
vii)History related lectures with chronology
vii) Hindi Vyakhya with grammar
Viii) With pdf study materials
ix) weekly tests
x)providing important question of every chapter.
••••••• Just Learn Here in an easier way.

Comments

  1. This chapter, "कुटज (KUTAJ)" by हजारी प्रसाद द्विवेदी, offers valuable insights into the subject matter. It's a commendable addition to the WBCHSE Class 12th curriculum, enriching students' understanding of Hindi literature.
    Top schools near Vanasthalipuram

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

CLASS 10TH MADHYAMIK WEST BENGAL BOARD GEOGRAPHY CHAPTER - 2 वायुमंडल important questions

CLASS - 11TH CBSE - CONSTITUTION: WHY AND HOW CHAPTER - 1

WBBSE MADHYAMIK LIFE SCIENCE CHAPTER -2 कोशिका और कोशिका विभाजन IN HINDI WEST BENGAL BOARD